"अब यकीन होता है , गाँधी भी था कोई "
पता नहीं क्या गलत , क्या सही
पर अब यकीन होता है गाँधी भी था कोई ....
बिना मार काट को भी लड़ाई कहते है
पता नहीं था, पर अब यकीन होता है , गाँधी भी था कोई ...
तेरी सांसों पर सिंहासन की सांसे अटक जाये
तू आगाज़ करे ,तो जनसैलाब उमड़ आये
तू एक निवाला ले ,तो देश मे खुशी कि लहर दौड जाए
मुझमे कितनी ताकत है, अंदाज़ा न था
पर अब यकीन होता है, गाँधी भी था कोई ....
तेरी जिद् चाहे किसी के लिए मजबूरी हो
पर आवाज़, आज मै भी उठाऊँगा
ताकि कल कि ज़रूरत', मेरी पूरी हो ||
आज़ादी का अरमां लिए
कभी कोई दौड़ा था , गाँधी के पीछे
आज मै भी दौडूंगा , मै भी दौडूंगा दौड अभी जारी है
मंजिल वही है , पर आज हम सवारी है ....
अब यकीन होता है गाँधी भी था कोई
गाँधी केवल किस्सों मे था , था केवल कहानी
तुझे क्या कहूँ
70 साल का जवान कहूँ या बुढ़ापे मे लौटी जवानी ....जय हिंद .||
from... prabhu
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