Thursday 17 May 2012
Thursday 10 May 2012
a poem refreshing ur college days...
जिंदगी तो कॉलेज में ही है.....
जिंदगी की हर रुत
जीने को मिली यहाँ
कभी टकरार तो कभी प्यार
सबकुछ था, सबकुछ रहा
बस हम ही चले जायेंगे
साला ! चुपके से किसी ने कहा ||
जीने को मिली यहाँ
कभी टकरार तो कभी प्यार
सबकुछ था, सबकुछ रहा
बस हम ही चले जायेंगे
साला ! चुपके से किसी ने कहा ||
हर किसी की अलग राह
कोई मैदान की दौड में आगे
कोई बेफिक्र, तो किसी की कलम भागे
किसी की सुबह जल्दी हो ,
तो साला! कोई रात भर जागे ||
तो किसी की रात, बस फोन पर बीती
बगल में बिना टिकेट, कोई दिखता मुवी
तो कोई रोता, मेरे को एक लड़की न मिली
साला ! तेरे प्यार में कितनी डूबी ||
तो बगल में वही प्लेट रखी थी
जिसमे दोस्त मेरा दस - दस रोटियां धरता
ऊँगली की नहीं, की चिल्ला कर कहता
साला! और लूँगा अगर पेट नहीं भरता ||
हम ही जाने , दोस्त क्या है
दोस्तों का क्या प्यार होता है
साला ! नाम ही बदल दिया जाता है
बड़े प्यार से जो माँ बाप से आता है ||
exam आये नहीं की ,
साला ! नींद ही सोने चले जाती है ||
मै रोज वादे करता हूँ
अब सब कुछ सही होगा
मै रोज इरादे करता हूँ
बस एक ही वादा निभाता हूँ
की साला ! मै रोज एक वादा करता हूँ ||
जिसके पास पैसा है उसे खर्च की परेशानी है
साला ! जिसके पास नहीं, उसे अगले महीने की सोच के पिछले महीने की उधार चुकानी है ||
कुछ रिश्ते बनेंगे , कुछ बनते बनते टूटेंगे
तो कुछ आखिरी में जाकर छूटेंगे
हम तो चले जायेंगे
लेकिन साले ! अब पीछे वाले मज़े लूटेंगे ||
prabhu....
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