गणतंत्र का जश्न मानाने चले हम
कही सोच थी तो कही क़ुरबानी
कही तजुर्बा था तो कही थी जोशीली जवानी
कही अंहिंसा का अडिग रास्ता तो कही खून बहा बन कर पानी
लेकिन रस्ते अलग हो तो क्या
थी सबने आज़ादी ही ठानी
नतमस्तक है आज हर हिन्दुस्तानी
ऐ वीरो आज बस तुम्ही हो , बस तुम्ही हो
बस तुम्हारी ही कहानी ..........जय हिंद
prabhu....
No comments:
Post a Comment